बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली की विशेषताओं पर अपने विचार उदाहरण सहित प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर -
विद्यानिवास मिश्र के निबंधों की शैली का विश्लेषण करने पर उसकी निम्नलिखित विशेषताएँ उभरती हैं -
(क) गूढ़ गुम्फित शैली - गूढ़ विषयों के लिए निबंधकार को प्रायः गूढ़ गुम्फित शैली का प्रयोग करना होता है। वस्तुतः शैली का प्रयोग किसी पूर्व निर्धारित योजना अथवा क्रम के अनुसार नहीं होता अपितु विषय की गरिमा और प्रसंग की गम्भीरता देखते हुए शैली का प्रयोग किया जाता है। इसी आधार पर मिश्रजी ने यहाँ गूढ़ और गहन विषयों के विवेचना के लिए गूढ़ गुम्फित शैली का प्रयोग किया है। वहाँ कहीं-कहीं तरंग शैली का और कहीं-कहीं विक्षेप शैली का तथा इसी प्रकार कहीं व्यंग्य विनोदपूर्ण शैली का • तो कहीं प्रभावशाली आलोचनात्मक शैली का प्रयोग किया जाता है। जैसे "प्रतिभा शब्द और अर्थ के सम्बन्धों से एक से अधिक धरातलों पर उठाकर उन्हें एक-दूसरे की ओर चालित करने की रचियत्री शक्ति है। वह शब्द और अर्थ के साहित्य का निरन्तर अभ्यास से उत्पन्न संस्कार है।"
(ख) धारा शैली - धारा शैली की विशेषता यह होती है कि उसमें गद्य काव्य से सौन्दर्य के दर्शन होते हैं। मिश्र जी ने अपने ललित निबन्धों में कहीं-कहीं धारा शैली का प्रयोग भी किया है। जैसे- "पता नहीं कब से फगुआ मनाया जाता है; कब से द्वार-द्वार मोहन फाग खेलने आ रहे हैं, शिवशंकर गौरी के साथ चिंताभण्म और अबीर को उड़ाने आ रहे है, एक संवत्सर की चिता पर दूसरे संवत्सर का बीज बोया जा रहा है, पार्थिव धूल से भरे हुए गगन में रंग की पिचकारियाँ चलाई जा रही हैं, अंग-अंग में रंग और अलकों में अबीर भरे ललनाएँ अनंग को सांगोपांग करने के लिए उमगती रही हैं, उफ, झांझ और मृदंग इस आनन्द को उद्वेलित करते रहे हैं। प्रीति की रीति सामाजिक आर्थिक और वैयाक्तिक सभी प्रकार की कुण्ठाओं, मर्यादाओं और बाधाओं को नकारा करके ऊँचे गले आज के दिन टेरती रही हैं।"
(ग) विक्षेप शैली - विक्षेप शैली के अन्तर्गत निबन्धकार कवित्वमयी भाषा में अपने हृदयस्थ भावों और विचारों को अभिव्यक्त करता है। मिश्रजी ने कही-कहीं विक्षेप शैली का भी प्रयोग किया है। जैसे - "सम्पादक जी, आप सोचते होगें कि भ्रमरानन्द ने आज गहरी विजया छानी है, तभी वह यह अकाल रुदन कर रहा है, पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि इस समय तो नशा हिरन हो गया है। ये प्रदर्शनियाँ बसंत आते आते समाप्त हो जाएंगी। चुनाव रूपी अनंग शरसंधान करने वाला है। रंग-बिरंगी झाड़ियाँ खिलने वाली है। पन्द्रह फीसदी के कोटा के अयाचित वरदान के फलस्वरूप नयी-नयी कलियाँ चिटकने वाली हैं। नव- बसन्त में नए बंदी - जनों की कूक पर नए-नए गुल खिलने वाले हैं। यह नया अनंग असंख्य मोटरों की धूल से अपने हाथ धुरिया धुरिया कर नए निशानों पर तीर बिठलाने वाला है। कबीर के अलापों के नए संस्करण होने वाले हैं। भ्रमरानन्द के कविताजीवी वर्ग के लिए इस धमा चौकड़ी में कोई स्थान नहीं। चुनाव के मदन ज्वर की समाप्ति के बाद तक गर्द बैठ जाएगी जब भी हमें पूछने वाला न होगा।"
(घ) व्यंग्य-विनोदपूर्ण शैली - मिश्रजी के ललित निबन्धों में अनेक स्थलों पर व्यंग्य-विनोदपूर्ण शैली के दर्शन भी होते हैं। जैसे "अन्त में सोचा कि बस एक उपाय है। पान का आस्वादन कराऊँ। सो मैनें पूरी रहस्यमयता के साथ साधक हिप्पी को ताम्बूल दीक्षा दी। उन्हें बतलाया कि पान साक्षात् शक्ति है, सुपारी चक्र साधन है और कत्था तथा चूना महामिलन के पर्याय है, इसमें खोंसी हुई लौंग बसंत की श्री है और इसके साथ रंचमात्र जाफरानी लो, यह परम विज्ञान हे। इसे धीरे-धीरे मुँह में घुलाओं और पान की दीक्षा बड़ी कारगर सिद्ध हुई। यह है सुपारी इन्हें कच्ची चाहिए, एक तो नरम होती है, दूसरे वह नशीली भी होती है और पत्ती काली चाहिए, जाफरानी ऊँचाई तक बढ़ नहीं पाती। कहिए, भ्रमरानन्द की नियति बुद्धि जोरदार है न ?"
(ङ) आलंकारिक शैली - अभिव्यक्ति में चमत्कार उत्पन्न करने के लिए और अर्थ- सौन्दर्य को विलक्षणता प्रदान करने के लिए आलंकारिक शैली का प्रयोग किया जाता है। मिश्र जी के निबंधों में भी इस प्रकार की आलंकारिक शैली का प्रयोग हुआ है। जैसे "जिनके पांडित्य की हिनानी के नीचे लोकहृदय की निर्झरणी निरन्तर झरती रहीं, जिनकी ज्ञान की पूर्णता से अधिक ज्ञान की निरंतरता की चिन्ता थी, जिनकी विस्मृति भी निश्चल ममा की धारा बन गई और जिनके अवधूत संस्कार ने ही उन्हें हिमालय के क्रोड़ में चिरनिन्द्रा की। केदार हिमालय की गोद के शृगांर थे। अपनी ऋजुता, प्रकाशमयता और शत सहस्त्र धाराओं में प्रवाहशीलता के द्वारा जिन्होनें हिमालय की विरासत आजीवन संभाली, वे विदा हो गए, जब हिमालय संकट में था और उस हिमालय की ही कन्या हिन्दी की गंगा संकट में है।'
(च) लाक्षणिक शैली - मिश्र जी ने अभिव्यक्ति में चमत्कार उत्पन्न करने के लिए कहीं कहीं लाक्षणिक शैली का प्रयोग किया है। जैसे "साधारण आदमी की आकांक्षा किसी के पुचकार पर ऊपर नहीं उठी है उठी है अपरिहार्य स्थिति के रूप में, उससे भयभीत हो, वे जिनकी जड़े कहीं और हैं। हिन्दुस्तान का लेखक कम से कम बेघर नहीं है, उसके ऊपर वरदहस्त देने का भाव भी उनके मन में जगे, जो स्वाहा हो चुके हों, पर जो तटस्थ रहे हैं, उन्हें उस आकांक्षा में भी अपने को विलीन करना चाहिए, उस आकांक्षा के ऊपर हंसेगा वह, जो पागल है, और शीशमहल से बाहर आना ही नहीं चाहता। लेखक को जयकार भी नहीं करनी है, उसे इस आकांक्षा की संवेदना निर्त्याज भाव से अपनी रचना में उतारनी है। बहुत से झूठ ढहे पर जो सत्य खड़ा होगा, उसकी एक एक ईंट की परख लेखक ही कर सकता है। जुड़ाई भी उसी के हाथों पक्की होगी।"
(छ) व्याख्यात्मक शैली - मिश्र जी ने अपने निबंधों में अर्थ सौन्दर्य की नई-नई छटाओं के निरूपण के उद्देश्य से व्याख्यात्मक शैली का भी प्रयोग किया है। निश्चय ही ऐसे स्थलों पर उनकी भाषा में लोक भाषाओं के शब्दों का सहज समावेश हो गया है। जैसे "नदी का जल 'स्थिर' तो रहता नहीं, वह हमेशा चंचल है, यही है कि कभी कम और कभी ज्यादा। कभी तो उसमें 'बुलबुले' उठते हैं फिर 'बल्ले....' उठते हैं, फिर हल्की सी 'हिलोर' उठती है, फिर यकायक 'लहर' झूमने लगती हैं। दो लहरें हवा का रुख पाते ही 'भेडिया' बन जाती है और नदी लपेटा मारने लगती है और बाढ़ भी ऊफान में हो तो कहीं-कहीं 'आवर्त' चक्रावर्त या भंवर बनकर बड़ी-बड़ी नावों को आफत में डाल देती है। जहाँ धारा मन्द होती है। वहाँ नदी अगम 'अथाह होती है, भंवर की जगह प्राय: ओंडा कुंड (अबट) या 'चन्द्र' होती है।"
(ज) विश्लेषणात्मक शैली - मिश्र जी ने अपने कतिमय व्याख्यात्मक समीक्षा में संबधित विषयों के विवेचना में विश्लेषणात्मक शैली का भी प्रयोग किया है। इस प्रकार के प्रयोग में साहित्यिक विवेचना का एक नया आयाम उभरकर आया है। जैसे "राम की शक्ति पूजा के संरचनात्मक विश्लेषण में पहले कुछ कठिनाइयों की ओर ध्यान दिलाना आवश्यक है पहली कठिनाई है, पूरी कविता का लगभग एक सा छन्दोविधान। इसके कारण कविता के नाटकीय मोड़ो को पकड़ने में थोड़ी-सी कठिनाई होती है। दूसरी कठिनाई है, शक्ति की विविध अभिव्याक्तियों के क्रम में संगति ढूढ़ने की। तीसरी कठिनाई है, पूरी कविता की ध्वनि - मुखरता के कारण और दो-दो पंक्तियों के तुक के मेल के कारण अर्थ को सूक्ष्मस्तर पर ग्रहण करने में।
(झ) प्रभाववादी आलोचनात्मक शैली - मिश्र जी के निबंधों में, विशेष रूप से आलोचनात्मक निबन्धों में प्रभाववादी आलोचनात्मक शैली का प्रयोग मिलता है। जैसे "द्विवेदी जी के निबन्धों को मैनें पहले नहीं पढ़ा था, मैनें पढ़ा था। उनका उपन्यास 'बाणभट्ट की आत्मकथा। उसके गद्य का जादू मन पर उतना नहीं छाया जितना उसके पात्रों का किशोर चिन्ट पर भर्तुशर्मा और भैरवी तुरन्त छा गए संस्कृति के मूल कादम्बरी और हर्षचरित पढ़ने के संस्कार ने भट्टिनी कादम्बरी, सुसंगता, महाश्वेता, निउनिया पत्रलेखा समीकरण बना डाले पर गहरा प्रभाव निउनिया का ही पड़ा, वही निउनिया मैना होकर 'चारुचन्द्ररेखा' में पुनः अवतीर्ण हुई।"
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि मिश्र जी ने निबन्ध के विषय को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त शैली का प्रयोग किया है। तथापि इस सम्बन्ध में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मिश्र जी के निबन्धों की भाषा और शैली दोनों का प्रयोग नितान्त सहज एवं स्वाभाविक रूप में हुआ है।
|
- प्रश्न- आदिकाल के हिन्दी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की विधाओं का उल्लेख करते हुए सभी विधाओं पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी नाटक के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी साहित्य के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी निबन्ध के विकास पर विकास यात्रा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'आत्मकथा' की चार विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- लघु कथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दी गद्य की पाँच नवीन विधाओं के नाम लिखकर उनका अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आख्यायिका एवं कथा पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सम्पादकीय लेखन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्लॉग का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- रेडियो रूपक एवं पटकथा लेखन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- हिन्दी कहानी के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नई कहानी आन्दोलन का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- उपन्यास और कहानी में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए ?
- प्रश्न- हिन्दी एकांकी के विकास में रामकुमार वर्मा के योगदान पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी एकांकी का विकास बताते हुए हिन्दी के प्रमुख एकांकीकारों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि डा. रामकुमार वर्मा आधुनिक एकांकी के जन्मदाता हैं।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का योगदान बताइये।
- प्रश्न- निबन्ध साहित्य पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के आधार पर जीवनी और संस्मरण का अन्तर स्पष्ट कीजिए, साथ ही उनकी मूलभूत विशेषताओं की भी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'रिपोर्ताज' का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आत्मकथा और जीवनी में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- हिन्दी की हास्य-व्यंग्य विधा से आप क्या समझते हैं ? इसके विकास का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कहानी के उद्भव और विकास पर क्रमिक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सचेतन कहानी आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनवादी कहानी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
- प्रश्न- समांतर कहानी आंदोलन के मुख्य आग्रह क्या थे ?
- प्रश्न- हिन्दी डायरी लेखन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- यात्रा सहित्य की विशेषतायें बताइये।
- अध्याय - 3 : झाँसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झाँसी की रानी उपन्यास में वर्मा जी ने सामाजिक चेतना को जगाने का पूरा प्रयास किया है। इस कथन को समझाइये।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास में रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- झाँसी की रानी के सन्दर्भ में मुख्य पुरुष पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास के पात्र खुदाबख्श और गुलाम गौस खाँ के चरित्र की तुलना करते हुए बताईये कि आपको इन दोनों पात्रों में से किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
- प्रश्न- पेशवा बाजीराव द्वितीय का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- अध्याय - 4 : पंच परमेश्वर - प्रेमचन्द (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'पंच परमेश्वर' कहानी का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की शिक्षा, योग्यता और मान-सम्मान की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- “अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।" इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 5 : पाजेब - जैनेन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- श्री जैनेन्द्र जैन द्वारा रचित कहानी 'पाजेब' का सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
- प्रश्न- 'पाजेब' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'पाजेब' कहानी की भाषा एवं शैली की विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 6 : गैंग्रीन - अज्ञेय (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर अज्ञेय द्वारा रचित 'गैंग्रीन' कहानी का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'गैंग्रीन' में अज्ञेय जी मालती की घुटन को किस प्रकार चित्रित करते हैं?
- प्रश्न- अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'गैंग्रीन' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 7 : परदा - यशपाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'परदा' कहानी का खान किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, तर्क सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- यशपाल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- अध्याय - 8 : तीसरी कसम - फणीश्वरनाथ रेणु (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है ?
- प्रश्न- हीरामन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए?
- अध्याय - 9 : पिता - ज्ञान रंजन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- अध्याय - 10 : ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नाटक के तत्वों के आधार पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक के आधार पर चन्द्रगुप्त के चरित्र की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'धुवस्वामिनी' नाटक के अन्तर्द्वन्द्व किस रूप में सामने आया है ?
- प्रश्न- क्या ध्रुवस्वामिनी एक प्रसादान्त नाटक है ?
- प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रयुक्त किसी 'गीत' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद के नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' की भाषा सम्बन्धी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- अध्याय - 11 : दीपदान - डॉ. राजकुमार वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- " अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है।" 'दीपदान' एकांकी में पन्ना धाय के इस कथन के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का कथासार लिखिए।
- प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- "बनवीर की महत्त्वाकांक्षा ने उसे हत्यारा बनवीर बना दिया। " " दीपदान' एकांकी के आधार पर इस कथन के आलोक में बनवीर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- अध्याय - 12 : लक्ष्मी का स्वागत - उपेन्द्रनाथ अश्क (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथावस्तु लिखिए।
- प्रश्न- प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक की उपयुक्तता बताइए।
- प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी के एकमात्र स्त्री पात्र रौशन की माँ का चरित्रांकन कीजिए।
- अध्याय - 13 : भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- लेखक ने "हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं।" वाक्य क्यों कहा?
- प्रश्न- "परदेशी वस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो।" कथन से क्या तात्पर्य है?
- अध्याय - 14 : मित्रता - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'मित्रता' पाठ का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- सच्चे मित्र की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 15 : अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के नाम की सार्थकता पर विचार करते हुए उसका सार लिखिए तथा उसके द्वारा दिये गये सन्देश पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के आधार पर उनकी निबन्ध-शैली की समीक्षा कीजिए।
- अध्याय - 16 : उत्तरा फाल्गुनी के आसपास - कुबेरनाथ राय (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- निबन्धकार कुबेरनाथ राय का संक्षिप्त जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- कुबेरनाथ राय द्वारा रचित 'उत्तरा फाल्गुनी के आस-पास' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कुबेरनाथ राय के निबन्धों की भाषा लिखिए।
- प्रश्न- उत्तरा फाल्गुनी से लेखक का आशय क्या है?
- अध्याय - 17 : तुम चन्दन हम पानी - डॉ. विद्यानिवास मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "विद्यानिवास मिश्र के निबन्ध उनके स्वच्छ व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति हैं।" उपरोक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- पं. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 : रेखाचित्र (गिल्लू) - महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- सोनजूही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में किन विचारों ने जन्म लिया?
- प्रश्न- गिल्लू के जाने के बाद वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
- अध्याय - 19 : संस्मरण (तीन बरस का साथी) - रामविलास शर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- संस्मरण के तत्त्वों के आधार पर 'तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा' संस्मरण की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'तीस बरस का साथी' संस्मरण के आधार पर रामविलास शर्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 20 : जीवनी अंश (आवारा मसीहा ) - विष्णु प्रभाकर (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग किया गया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' अथवा 'पथ के साथी' कृति का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- विष्णु प्रभाकर के 'आवारा मसीहा' का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में समाज से सम्बन्धित समस्याओं को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में बंगाली समाज का चित्रण किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के रचनाकार का वैशिष्ट्य वर्णित कीजिये।
- अध्याय - 21 : रिपोर्ताज (मानुष बने रहो ) - फणीश्वरनाथ 'रेणु' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ 'रेणु' कृत 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में रेणु जी किस समाज की कल्पना करते हैं?
- प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में लेखक रेणु जी ने 'मानुष बने रहो' की क्या परिभाषा दी है?
- अध्याय - 22 : व्यंग्य (भोलाराम का जीव) - हरिशंकर परसाई (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्य ' भोलाराम का जीव' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'भोलाराम का जीव' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरिशंकर परसाई की रचनाधर्मिता और व्यंग्य के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 23 : यात्रा वृत्तांत (त्रेनम की ओर) - राहुल सांकृत्यायन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- यात्रावृत्त लेखन कला के तत्त्वों के आधार पर 'त्रेनम की ओर' यात्रावृत्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तान्तों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- अध्याय - 24 : डायरी (एक लेखक की डायरी) - मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित 'एक साहित्यिक की डायरी' कृति के अंश 'तीसरा क्षण' की समीक्षा कीजिए।
- अध्याय - 25 : इण्टरव्यू (मैं इनसे मिला - श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी) - पद्म सिंह शर्मा 'कमलेश' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- "मैं इनसे मिला" इंटरव्यू का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पद्मसिंह शर्मा कमलेश की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 26 : आत्मकथा (जूठन) - ओमप्रकाश वाल्मीकि (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- ओमप्रकाश वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए 'जूठन' शीर्षक आत्मकथा की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आत्मकथा 'जूठन' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दलित साहित्य क्या है? ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की भाषिक-योजना पर प्रकाश डालिए।